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नज़्म
जिन की आँखों को रुख़-ए-सुब्ह का यारा भी नहीं
उन की रातों में कोई शम्अ मुनव्वर कर दे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क्या क्या मची हैं यारो बरसात की बहारें
क्या क्या रखे हैं यारब सामान तेरी क़ुदरत
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
देस परदेस के यारान-ए-क़दह-ख़्वार के नाम
हुस्न-ए-आफ़ाक़, जमाल-ए-लब-ओ-रुख़्सार के नाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
वो राज़-दार-ए-महफ़िल-ए-याराँ नहीं रहा
वो ग़म-गुसार-ए-बज़्म-ए-अरीफ़ाँ चला गया
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अहल-ए-दिल जो आज गोशा-गीर-ओ-सुर्मा-दर-गुलू
अब तना ता-हू भी ग़ाएब और या-रब हा भी गुम
नून मीम राशिद
नज़्म
क़ौम को इस शान-ओ-शौकत से तुम्हारी क्या मिला
दो जवाब इस का अगर रखती हो यारा-ए-मक़ाल