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नज़्म
शोरिश-ए-दर्द-ओ-ग़म-ए-ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ की क़सम
चश्म-ए-नम चाक-जिगर दीदा-ए-हैराँ की क़सम
अयाज़ बिलग्रामी
नज़्म
कौन ये पर्दा-नशीं है तेरे दामन में निहाँ
किस का चेहरा है नक़ाब-ए-ज़ुल्फ़-ए-पुर-फ़न में निहाँ
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
किसी ने निकहत-ए-ज़ुल्फ़-परेशाँ का नहीं पूछा
किसी ने दुख के अंदर रौशनी की छब नहीं देखी
अब्बास ताबिश
नज़्म
दिन में ये मल्गजे कपड़ों में नज़र आती है
रात में करती है आराइश-ए-ज़ुल्फ़-ओ-रुख़सार
सलाम संदेलवी
नज़्म
हल्क़ा-ए-ज़ुल्फ़-ए-सनम की तीरगी से दूर हूँ
ज़िंदगी के पेच-ओ-ख़म सुलझा रहा हूँ आज-कल
मासूम शर्क़ी
नज़्म
मगर लबों पे नग़्मा-ए-हयात शाद-काम है
रहीन-ए-आरिज़-ए-हसीं असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-मुश्कबू!