नजीबा आरिफ़
ग़ज़ल 1
अशआर 1
ख़याल अपना कमाल अपना उरूज अपना ज़वाल अपना
ये किन भुलैयों में डाल रखा है कैसी लीला रची हुई है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere