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इब्न-ए- मरयम

इब्न-ए-मरयम बनू-इसराईल (क़बीले का नाम) के अंतिम ईश्वर-दूत हज़रत ईसा का उपनाम है। हज़रत ईसा बनू-इसराईल क़बीले की एक पवित्र महिला (मुक़द्दस कुँआरी मरयम / मरियम) के पुत्र थे। हज़रत ईसा को ईश्वर ने सामान्य लोगों से अलग बग़ैर पिता के पैदा किया। ऐसी मान्यता है कि हज़रत जिब्रईल (गब्रीएल या जिब्राइल क़ुरआन और बाइबिल में उल्लेखित देव-दूतों में से एक का नाम) ने हज़रत मरयम के गरेबान में फूंक मारी और वो गर्भवती हो गईं और हज़रत ईसा का जन्म हुआ। इसी कारण हज़रत ईसा को इब्न-ए- मरयम (मरयम का बेटा) कहा जाता है। इस उद्धरण को बहुत सी किताबों के अलावा क़ुरआन में विस्तार के साथ पेश किया गया है।

बताया जाता है कि ईसा के पास ख़ुदा की तरफ़ से अता की गईं कुछ ऐसी ग़ैरमामूली सलाहियतें और शक्तियां थीं कि वो जिस मरीज़ पर हाथ फेरते वे शिफ़ा-याब यानी ठीक होजाता, और उसके तमाम दुख और तकलीफ़ें दूर हो जातीं. यहां तक कि मारा हुआ शख़्स भी जी उठता.

ईसा को उनकी इसी शक्ति की वजह से मसीह या मसीहा भी कहा जाता है. मसीह या मसीहा जैसे अलफ़ाज़ शायरी में इसी संदर्भ में इस्तिमाल किए गए हैं.

इब्न-ए-मर्यम हुआ करे कोई

मेरे दुख की दवा करे कोई

ग़ालिब

जिधर जाते हो घर में से यही आवाज़ आती है

मसीहा हो जो बीमारों को दम भर देखते जाओ

आतिश

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