aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बता सकता है
एक दीवाने का ज़ंजीर से रिश्ता क्या है
"साक़िया तू ने मिरे ज़र्फ़ को समझा क्या है" ग़ज़ल से की फ़ना निज़ामी कानपुरी
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