आदिल असीर देहलवी के दोहे
ख़िदमत से उस्ताद की रहता है जो दूर
चेहरे पर उस के नहीं अच्छाई का नूर
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क्या नादाँ से दोस्ती क्या दाना से बैर
दोनों ऐसे काम हैं जिन में नहीं है ख़ैर
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टैग : बाल कविता
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