aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

असलम इमादी के शेर

हज़ार रास्ते बदले हज़ार स्वाँग रचे

मगर है रक़्स में सर पर इक आसमान वही

तुम मिरे कमरे के अंदर झाँकने आए हो क्यूँ

सो रहा हूँ चैन से हूँ ठीक है सब ठीक है

उन्हें ये फ़िक्र कि दिल को कहाँ छुपा रक्खें

हमें ये शौक़ कि दिल का ख़सारा क्यूँकर हो

हम भी 'असलम' इसी गुमान में हैं

हम ने भी कोई ज़िंदगी जी थी

हवाएँ शहर की आलूदा-ए-कसाफ़त हैं

ये साफ़-सुथरा-पन और ये नफ़ासतें झूटी

तुम्हारे दर्द से जागे तो उन की क़द्र खुली

वगरना पहले भी अपने थे जिस्म-ओ-जान वही

नमी उतर गई धरती में तह-ब-तह 'असलम'

बहार-ए-अश्क नई रुत की इब्तिदा में है

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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