aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बाल मुकुंद बेसब्र

1812/13 - 1885 | दिल्ली, भारत

उस्ताद शायर, मिर्ज़ा ग़ालिब के ख़ास शागिर्द

उस्ताद शायर, मिर्ज़ा ग़ालिब के ख़ास शागिर्द

बाल मुकुंद बेसब्र

ग़ज़ल 11

अशआर 2

रुख़्सत हुआ वो अश्क हमारे निकल आए

ख़ुर्शीद के छुपते ही सितारे निकल आए

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मुद्दआ' गर है तो ये है आशिक़-ए-दिल-गीर का

अश्क में होना असर का आह में तासीर का

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