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बिमल कृष्ण अश्क

1924 - 1982 | रोहतक, भारत

लोकप्रिय शायर, रोज़मर्रा के अनुभवों को शायरी बनाने के लिए पहचाने जाते हैं, ख़ूबसूरत नज़्में और ग़ज़लें कहीं

लोकप्रिय शायर, रोज़मर्रा के अनुभवों को शायरी बनाने के लिए पहचाने जाते हैं, ख़ूबसूरत नज़्में और ग़ज़लें कहीं

बिमल कृष्ण अश्क

ग़ज़ल 40

नज़्म 6

अशआर 14

अब के बसंत आई तो आँखें उजड़ गईं

सरसों के खेत में कोई पत्ता हरा था

तुम तो कुछ ऐसे भूल गए हो जैसे कभी वाक़िफ़ ही नहीं थे

और जो यूँही करना था साहब किस लिए इतना प्यार किया था

देखने निकला हूँ दुनिया को मगर क्या देखूँ

जिस तरफ़ आँख उठाऊँ वही चेहरा देखूँ

दायरा खींच के बैठा हूँ बड़ी मुद्दत से

ख़ुद से निकलूँ तो किसी और का रस्ता देखूँ

सभी इंसाँ फ़रिश्ते हो गए हैं

किसी दीवार में साया नहीं है

पुस्तकें 5

 

ऑडियो 3

नाम उस का

प्यार है वो

वो: एक

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

 

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