aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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फ़राग़ रोहवी

1956 - 2020 | कोलकाता, भारत

फ़राग़ रोहवी के दोहे

कैसे अपने प्यार के सपने हों साकार

तेरे मेरे बीच है मज़हब की दीवार

भूल गए हर वाक़िआ बस इतना है याद

माल-ओ-ज़र पर थी खड़ी रिश्तों की बुनियाद

नफ़रत के संसार में खेलें अब ये खेल

इक इक इंसाँ जोड़ के बन जाएँ हम रेल

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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