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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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मीर हसन

1717 - 1786 | लखनऊ, भारत

प्रमुख मर्सिया-निगार, मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

प्रमुख मर्सिया-निगार, मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

मीर हसन

ग़ज़ल 95

अशआर 108

सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं

गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं

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दोस्ती किस से थी किस से मुझे प्यार था

जब बुरे वक़्त पे देखा तो कोई यार था

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जो कोई आवे है नज़दीक ही बैठे है तिरे

हम कहाँ तक तिरे पहलू से सरकते जावें

आसाँ समझियो तुम नख़वत से पाक होना

इक उम्र खो के हम ने सीखा है ख़ाक होना

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आश्ना बेवफ़ा नहीं होता

बेवफ़ा आश्ना नहीं होता

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रुबाई 4

 

नअत 1

 

मसनवी 1

 

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चित्र शायरी 5

 

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