शहीद बदायुनी के शेर
वो किसी के हैं मैं किसी का हूँ मगर एक रब्त है आज तक
वही एहतियात-ए-निगाह है वही एहतियात-ए-कलाम है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere