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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

ज़फर इमाम के शेर

इक नदी में सैकड़ों दरिया की तुग़्यानी मिली

डूबने वाले को मर जाने की आसानी मिली

जीवन का संगीत अचानक अंतिम सुर को छू लेता है

हँसता ही रहता है फिर भी मेरे अंदर मरने वाला

साफ़ जज़्बों के हवाले से तो ग़म हैं लेकिन

एक लम्हे की ख़ुशी एक सदी रहती है

बात पहुँचे समाअत को तासीर दे किस तरह

लफ़्ज़ हैं और लफ़्ज़ों में ज़ोर-ए-बयानी नहीं

जल्द मंज़िल तक पहुँचने का जुनूँ उस को रहा

ज़िंदगी भर इस लिए रस्ता बदलता रह गया

देख लेते हैं अंधेरे में भी रस्ता अपना

शम्अ एहसास के मानिंद जली रहती है

उजाला अपने घरौंदे में रह गया तो रात

कहाँ क़याम करेगी कहाँ से गुज़रेगी

क्या जाने कब धरती पर सैलाब का मंज़र हो जाए

हर-दम ये मजबूर निगाहें वर्षा करती रहती हैं

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