ज़िया फ़ारूक़ी
ग़ज़ल 36
नज़्म 2
अशआर 16
पहले था बहुत फ़ासला बाज़ार से घर का
अब एक ही कमरे में है बाज़ार भी घर भी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मत पूछिए क्या जीतने निकला था मैं घर से
ये देखिए क्या हार के लौटा हूँ सफ़र से
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बदन की क़ैद से छूटा तो लोग पहचाने
तमाम 'उम्र किसी को मिरा पता न मिला
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
पुस्तकें 11
वीडियो 5
This video is playing from YouTube