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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : माहिर-उल क़ादरी

V4EBook_EditionNumber : 002

प्रकाशक : इदारा-ए-इशाअत-ए-उर्दू, हैदराबाद

प्रकाशन वर्ष : 1943

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 160

सहयोगी : ग़ालिब अकेडमी, देहली

mahsoosat-e-mahir
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पुस्तक: परिचय

دنیائے ادب میں بحیثیت شاعر، ادیب، محقق اور صحافی ماہر القادری محتاج تعارف نہیں ہیں۔ ماہر القادری کا اصل نام منظور حسین اور تخلص ماہر ہے۔ ماہر القادری بحیثیت شاعر زیادہ معروف ہیں۔ انھوں نے شاعری میں زیادہ تر سلام لکھے ہیں۔ جو اردو کلاسیکی ادب کا حصہ ہے۔ ان کے کلام کا پہلا مجموعہ "محسوسات ماہر" پیش خدمت ہے۔ جس میں نظمیں، رباعیات، سلام اور قطعات شامل ہیں۔

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लेखक: परिचय

माहिरुल क़ादरी एक बेहतरीन नस्रनिगार और क्लासिकी ढंग के शायर के रूप में जाने जाते हैं. नाम मंज़ूर हुसैन था. 30 जुलाई 1906 को केसर कलां ज़िला बुलंदशहर में पैदा हुए. 1926 में अलीगढ़ से मैट्रिक करने के बाद बिजनौर से निकलने वाले मशहूर अख़बार ‘मदीना’ से सम्बद्ध हो गये. ‘मदीना’ के अलावा और भी कई अख़बारों और रिसालों का सम्पादन किया. मुंबई प्रवास के दौरान फिल्मों के लिए नग़मे भी लिखे. विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गये और कराची से मासिक ‘फ़ारान’ जारी किया जो बहुत जल्द उस वक़्त के बेहतरीन अदबी रिसालों में शुमार होने लगा.

माहिरुल क़ादरी ने आलोचना, समीक्षा, जीवनी, उपन्यास के अलावा और कई गद्य विधाओं में लिखा. उनका गद्यलेखन अपनी शगुफ्तगी और धाराप्रवाह वर्णन के कारण अबतक दिलचस्पी के साथ पढ़ी जाती हैं. माहिरुल क़ादरी की बीस से ज़्यादा किताबें प्रकाशित हुईं. कुछ किताबों के नाम ये हैं: ‘आतिश-ए-ख़ामोश’ ‘शिराज़ा’ ‘महसूसात-ए-माहिर’ ‘नग़मात-ए-माहिर’ ‘जज़्बात-ए-माहिर’ ‘करवाने हिजाज़’ ‘ज़ख्म व मरहम’ ‘यादे रफ़्तगाँ’ ‘फ़िर्दौस कर्दा’ ‘तिलिस्मे हयात.

12 मई 1978 को जद्दा में एक मुशायरे के दौरान दिल की धड़कन बंद होजाने से देहांत हुआ.

 

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