aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अज़ीज़ हामिद मदनी 15 जून 1922 को रायपुर (भारत) में पैदा हुए. उनका सम्बंध एक शिक्षित परिवार से था. उनके पिता पुराने अलीग थे और शिब्ली के शागिर्दों में से थे. अज़ीज़ हामिद मदनी ने अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. किया और पाकिस्तान के स्थापना के बाद अपने व्यवहारिक जीवन का आरम्भ शिक्षा विभाग से किया. इसके बाद वह रेडियो पाकिस्तान से सम्बद्ध हो गये और इस्लामाबाद में कन्ट्रोलर ऑफ़ होम ब्रोडकास्टिंग के पद से सेवानिवृत हुए. 23 अप्रैल 1991 को कराची में देहांत हुआ. अज़ीज़ हामिद मदनी
के काव्य संग्रह ‘चश्म-ए-निगराँ’ ‘दश्त-ए-इम्काँ’, ‘नख़्ल-ए-इम्काँ’ ‘मिज़गां खूंफिशा’ के नाम से प्रकाशित हुए. उन्होंने आधुनिक फ़्रांसीसी नज़्मों के भी अनुवाद किये और उर्दू के आधुनिक शाइरों पर एक आलोचनात्मक किताब भी तैयार की.
अज़ीज़ हामिद मदनी की शाइरी एक बिल्कुल नई शेरी ज़बान और अपने अछूते विषयों के लिए जानी जाती है.
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