aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह किताब तारिक छतारी का नावेल "आसमान मंज़िल" है। नाक़िदीन इसकी उम्दा नस्र, तफ़सीली बयानिया और मुनफ़रिद उस्लूब की तारीफ़ करते हैं जो क़ारी को उसकी दुनिया में ग़र्क कर देता है। मुसन्निफ़ ने कमाल महारत से भरपूर जुज़इयात निगारी की है लेकिन कहानी को बोझल नहीं होने दिया, बल्कि उन अनासिर पर तवज्जो मरकूज़ रखी है जो प्लाट को आगे बढ़ाते हैं और तख़लीक़ी शिद्दत पैदा करते हैं। यह नावेल, अगरचे सादा और सलीस नस्र में लिखा गया है, अपनी गहराई को बरकरार रखता है और जज़्बात को नज़ाकत से बयान करता है।
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here