aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह किताब "दिल्ली वाले दीदा-ओ-शुनीदा" अज़ीम अख़्तर के लिखे ख़ाकों का मजमूआ है जो पुरानी दिल्ली की मुनफ़रिद शख़्सियात और सकाफ़ती बारीकियाँ की ख़ूबसूरत अक्कासी करता है। मुसन्निफ़, अगरचे दिल्ली में पैदा नहीं हुए, लेकिन अपने गहरे मुशाहिदे और शहर की गलियों, बाज़ारों और आम लोगों की रोज़मर्रा ज़िंदगी से अपने तअल्लुक़ के ज़रिए "देहलीपन" की रूह को क़ैद करते हैं। यह पुरानी दिल्ली की मख़सूस सकाफ़ती शनाख़्त को उजागर करता है, इसे नई दिल्ली से मुक़ाबला करता है, और शहर के तारीख़ी व समाजी ताने-बाने का एक क़ीमती रिकॉर्ड पेश करता है, जैसे लखनऊ की सकाफ़त को अदब में पेश किया गया।
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here