aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
ख़ुर्शीद अफ़सर बिस्वानी मुशायरों के लोकप्रिय शाइर थे. 16 मार्च 1941 को क़स्बा बिसवां ज़िला सीतापुर में पैदा हुए. पिता का नाम सय्यद आशिक़ अली था जो नौकरी के सिलसिले में कानपूर में निवास करते थे,इसलिए अफ़सर का आरम्भिक ज़माना भी वहीँ गुज़रा. अपने पिता के साथ जिगर बिस्वानी और मौलाना हस्रत मोहानी की महफ़िलों में शरीक होते थे.उसके असर से रफ़्ता रफ़्ता शाइ’री भी करने लगे और मुशायरों में शरीक होनेलगे. शाइ’री के साथ नस्र भी लिखी. ‘सालेह अदब के मुहर्रिक-ए- आज़म’, ‘इंतेखाब-ए-कलाम जिगर बिस्वानी’ उनकी नस्र की किताबें हैं. शाइरी का संग्रह ‘दोपहर’ के नाम से प्रकाशित हुआ.
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