aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक दिन है, जो प्रत्येक चंद्र मास की 11वीं तिथि को मनाया जाता है। "एकादशी" शब्द संस्कृत के "एक" (एक) और "दश" (दस) से आया है, जिसका अर्थ है "ग्यारह"। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है, और इस दिन उपवासी (व्रत), प्रार्थना और आत्मिक शुद्धिकरण महत्वपूर्ण क्रियाएँ मानी जाती हैं। एकादशी के उपवास को पापों को शुद्ध करने और आत्मिक विकास को बढ़ावा देने का एक तरीका माना जाता है। प्रत्येक माह में विभिन्न प्रकार की एकादशी आती हैं, जैसे सोमवती, व्यास, केशव और भद्रकाली एकादशी, जो भक्तों को भगवान के साथ उनके संबंध को मजबूत करने और पुण्य कार्यों को पूर्ण करने में मदद करती हैं। कुछ लोग पूर्ण उपवास रखते हैं, जबकि कुछ फल और सब्जियाँ खाते हैं, लेकिन अनाज, दाल और मसाले से परहेज़ करते हैं। एकादशी की पूजा से हृदय की शुद्धि होती है और व्यक्ति की तक़दीर में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। "एकादशी महात्मय" (1868) पुस्तक महाराज सुखराम दास ब्रह्मचारी द्वारा लिखित है, जो एकादशी की महिमा के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। यह पुस्तक 1914 में मुंशी नवल किशोर, कानपुर द्वारा प्रकाशित हुई थी।