aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक : फ़ारिग़ बुख़ारी

प्रकाशक : ख़ालिद अकेडमी, लाहाैर

प्रकाशन वर्ष : 1983

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : आलोचना

पृष्ठ : 114

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

ग़ज़लिया

लेखक: परिचय

फ़ारिग़ बुखारी का नाम अहमद शाह था. 11 नवम्बर 1917 को पेशावर में पैदा हुए. इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद प्राच्य भाषाओं के कई इम्तहानात पास किये. फ़ारिग़ बुखारी वैचारिक स्तर पर प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े हुए थे लेकिन इस वैचारिक सम्बद्धता ने उनकी रचनात्मक व्यापकता को कम नहीं होने दिया. वह विषय, भाषा और शे’री रचनाओं में नये-नये प्रयोग करते रहे. उनका एक विशिष्ट प्रयोग ग़ज़ल के फॉर्म में है. उन्होंने अपने काव्य संग्रह ‘ग़ज़लिया’ में रूप और तकनीक को एक नये अंदाज़ में प्रयोग किया है.

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