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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : बेख़ुद देहलवी

संस्करण संख्या : 002

प्रकाशक : अलीगढ़ बर्क़ी प्रेस, दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 1938

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : दीवान

पृष्ठ : 397

सहयोगी : सेंट्रल लाइब्रेरी ऑफ़ इलाहबाद यूनिवर्सिटी, इलाहबाद

guftar-e-bekhud
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पुस्तक: परिचय

زیر تبصرہ کتاب بیخود دہلوی کا دیوان "گفتار بیخود" ہے۔ جس کے شروع میں کچھ نیا کلام شامل ہے، اس کے بعد میخانہ بیخود کے نام سے ایک مضمون ہے جو بیخود کی زندگی اور شاعری پر روشنی ڈالتا ہے۔ بیخود دہلوی کا پورا نام سید وحید الدین احمد ہے، آپ کو داغ کا جانشین کہا جاتا ہے۔ کلام میں وہی داغ والا لطف اور دلچسپی ہے۔ دہلی کی مستند اور ٹکسالی با محاورہ زبان ہے۔ زیر نظر دیوان میں غزلوں کے علاوہ اساتذہ کی غزلوں پر مخمس ہیں، رباعیات و قطعات ہیں، سہرے اور تقریظات ہیں، دو قصیدے بھی ہیں۔ اس کے بعد دیوان کی منظوم تاریخیں ہیں۔

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लेखक: परिचय

बेख़ुद देहलवी, सय्यद वहीदुद्दीन (1863-1955)पैदा भरतपुर में हुए मगर परवान चढ़े देहली में और सारी उ’म्र यहीं रहे। शाइ’रों के घराने से संबंध था तो शाइ’री उन्हें विरासत में मिली थी। मौलाना ‘हाली’ से ता’लीम हासिल की और उन्हीं के कहने पर ‘दाग़’ देहलवी के शागिर्द हुए। उस्ताद का रंग इतना चढ़ा कि अपना अलग कोई रंग न बन पाया। अच्छा खाते, अच्छा पहनते थे और ख़ूब खर्च करते थे। देहली की ज़बान उनकी शाइ’री की जान है।

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