aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
जाफ़र ताहिर की गिनती उन शायरों में होती है जिन्होंने ग़ज़ल को उसके सीमित पारम्परिक घेरे से निकालकर एक ताज़ा स्रजनात्मक अभिव्यक्ति के रूप में प्रयोग किया है. उनकी ग़ज़लें अपने विषयों और डिक्शन के लिहाज़ से उनके समृद्ध रचनात्मक अनुभव का पता देती हैं. जाफ़र ताहिर की पैदाइश 19 मार्च 1917 को झिंग (पाकिस्तान) के एक सादात घराने में हुई. आरम्भिक शिक्षा क्षेत्रीय स्कूल में प्राप्त की, प्राइवेट रूप से बी.ए. किया और फ़ौज में भर्ती हो गये. 1966 में फ़ौज की नौकरी से सेवानिवृत होने के बाद रेडियो पाकिस्तान रावलपिंडी से सम्बद्ध होगये.
जाफ़र ताहिर ने ग़ज़लों के अलावा नज़्में भी कहीँ साथ ही उन्होंने एक नई विधा ‘कनेटिव’का परिचय कराया. उनके ‘कनेटिव का पहला संग्रह ‘हफ़्त किशोर’ के नाम से प्रकाशित हुआ. उस संग्रह के लिए उन्हें आदमजी एवार्ड से भी नवाज़ा गया. 25 मई 1977 को रावलपिंडी में देहांत हुआ.
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