aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
एक बिल्कुल ताज़ातर एहसास के धारक ग़ज़लों के लिए ख़ालिद अहमद का नाम लोकप्रिय है, उन्होंने नातें भी कही हैं. उनमें भी वह नात के पारम्परिक वर्णन से एहसास के तर्ज़ और शब्दावलियों के स्तर पर अलग राह निकालते हुए नज़र आते हैं. ख़ालिद अहमद 5 जून 1944 को लखनऊ में पैदा हुए, पाकिस्तान के स्थापना के बाद लाहौर चले गये और वहीँ शिक्षा प्राप्त की. ‘नशेब’ ‘एक मुट्ठी हवा’ ‘हथेलियों पे चराग़’‘पहली सदा परिंदों की’ ‘दराज़ पलकों के साये’ ‘नम गिरफ़ता’ उनके काव्य संग्रह हैं. नस्र में उनके कालम ‘लम्हा लम्हा’ के नाम से प्रकाशित हुए. ‘जदीदतर पाकिस्तानी अदब’ के नाम से एक आलोच्नात्मक पुस्तक भी प्रकाशित हुई. 2013 में देहांत हुआ.
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