aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह किताब शमशीर सिंह नरूला के अफ़सानों का मजमुआ है। पेश लफ़्ज़ के मुताबिक, ये कहानियाँ हिंदुस्तानी समाज की आर्थिक बदहाली, सामाजिक रुकावटों और मायूसी को पेश करती हैं। लेखक गरीबी, बीमारी और आम लोगों के संघर्ष जैसे विषयों को यथार्थवादी अंदाज़ में बयान करता है, और पारंपरिक रूमानी विषयों से हटकर एक अनूठा अंदाज़ अपनाता है।
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here