aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक अज़ीम आलिम, मुफ़स्सिर और इल्म-ए-कलाम के माहिर थे। वह गहरे सियासी शुऊर और अहम अदबी हैसियत के मालिक थे और दोनों शोबों में संग-ए-मील की हैसियत रखते हुए आलमी मक़बूलियत हासिल की। एक बेमिसाल मुदब्बिर और मुस्तक़बिल शनास शख़्सियत के तौर पर, यह मोनोग्राफ मौलाना आज़ाद की ज़िंदगी, उनके अदबी व सहाफ़ती शाहकारों (जैसे ग़ुबार-ए-ख़ातिर और कारवां-ए-ख़्याल) और मुसलमानों के मसाइल के हल और हिंदुस्तान में क़ौमी व वतनी मोहब्बत के फ़रोग़ के लिए उनकी कोशिशों को नुमायाँ करता है। उर्दू अदब में उनकी हमहगीर शख़्सियत किसी तारुफ़ की मोहताज नहीं।
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