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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक: परिचय

डॉ. सत्वत रिहाना का जन्म 1972 में ज़िला बहराइच के गाँव राजापुर बुलबुल नवाज़ में हुआ। आपने प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान जामिआतुस्सालिहात, रामपुर से आलिमियत (1988) और फाज़िलत (1990) की डिग्रियाँ प्राप्त कीं। इसके बाद आपने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एम.ए. (अरबी, 1992), एम.फिल. (1995) और पीएच.डी. (1998) की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
आप एक प्रतिष्ठित अनुसंधानकर्ता, अनुवादक और निबंधकार हैं। वर्तमान में आप सिराजुल उलूम निस्वां कॉलेज, अलीगढ़ (उर्दू-फारसी बोर्ड, उत्तर प्रदेश सरकार से सम्बद्ध) में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं।
आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

क़ुरानी ख़वातीन (1992)
पैग़ाम-ए-जिहाद (अनुवाद, 1994)
क़सम आमीन की सामाजिक व साहित्यिक सेवाएँ (1997)
मिस्र में नारी मुक्ति आंदोलन और आधुनिक अरबी साहित्य पर उसका प्रभाव (2001)
अरबी भाषा और साहित्य के विकास में सैयद सुलेमान नदवी की सेवाएँ (2002)

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