aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : ए. हमीद

संपादक : राशिद मतीन

प्रकाशक : एकेडमी अदबियात पाकिस्तान, इस्लामाबाद

मूल : इस्लामाबाद, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 1998

भाषा : Urdu

पृष्ठ : 135

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 969-472-115-6

सहयोगी : ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली

qateel shifai (shakhsiyat aur fan)

लेखक: परिचय

ए.हमीद (अब्दुलहमीद) की गिनती उर्दू के लोकप्रिय कहानीकारों में होती है। उन्होंने दो सौ से ज़्यादा अफ़साने, नॉवेल और ड्रामे लिखे। 25 अगस्त 1928 को अमृतसर में जन्म हुआ। स्थानीय स्कूल से ही  आरम्भिक शिक्षा प्राप्त की। पाकिस्तान बनने के बाद प्राईवेट रूप से एफ़.ए. पास करके रेडियो पाकिस्तान से बतौर स्टाफ़ आर्टिस्ट सम्बद्ध हो गये। जहां उनकी जिम्मेदारियों में  रेडियो फ़ीचर और रेडियो ड्रामे लिखना शामिल था।1980 में नौकरी से इस्तिफ़ा देकर अमरीका चले गये और वायस ऑफ़ अमरीका में प्रोड्यूसर की नौकरी इख़्तियार की। लेकिन जल्द ही वहां की ज़िंदगी के हंगामों से उकता कर पाकिस्तान लौट आये और ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों तक फ्रीलांस राईटर के रूप में काम करते रहे।
ए.हमीद का पहला अफ़साना ‘मंज़िल मंज़िल’ 1948 में प्रसिद्ध पत्रिका अदब-ए-लतीफ़ में प्रकाशित हुआ। आरम्भिक कहानियों से ही उनकी मक़बूलियत का सफ़र शुरू हो गया था। ए.हमीद ने अपनी कहानियों में रूमानियत और अतीत के यादों की ऐसी जादूई फ़िज़ा क़ायम की कि जब तक वो लिखते रहे उनके पढ़नेवाले दीवाना-वार उन्हें पढ़ते रहे। उनका पहला कहानी संग्रह “मंज़िल मंज़िल” के नाम से प्रकाशित हुआ जिसे नौजवान पढ़नेवालों में अपार लोकप्रियता प्राप्त हुई। नव्वे के दशक में उन्होंने बच्चों के लिए एक सिलसिला-वार ड्रामा “ऐनक वाला जिन्न” के नाम से लिखा। उस ड्रामे की मक़बूलियत का ये आलम था कि अभी सीज़न ख़त्म न होता कि दूसरे की मांग होने लगती और लोग बे-ताबी से उसका इन्तिज़ार करते।
ए.हमीद की सारी किताबों की संख्या दो सौ से ज़्यादा है। उनकी प्रसिद्ध किताबों में पाज़ेब,फिर बहार आई, शाहकार, मिर्ज़ा ग़ालिब रॉयल पार्क में ,तितली, बहिराम, जहन्नुम के पुजारी, बगोले, देखो शहर लाहौर, जुनूबी हिंद के जंगलों में, गंगा के पुजारी नाग, पहली मुहब्बत के आँसू, एहराम के देवता, वीरान हवेली का आसेब, उदास जंगल की ख़ुशबू, वालिदैन, चांद चेहरे और गुलिस्तान अदब की सुनहरी यादें, ख़ुफ़िया मिशन वग़ैरा शामिल हैं।
29 अप्रैल 2011 को लाहौर में इंतिक़ाल हुआ।

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