aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मोहम्मद अल्वी

प्रकाशक : उर्दू साहित्य अकादमी, गुजरात

प्रकाशन वर्ष : 1995

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : कुल्लियात

पृष्ठ : 567

सहयोगी : मोहम्मद अल्वी

raat idhar udhar raushan

पुस्तक: परिचय

رات ادھر ادھر روشن محمد علوی کے چار شعری مجموعوں پر مشتمل کلیات ہے۔محمد علوی کا شمار جدیدیت کے بنیاد گزار شاعروں میں ہوتا ہے۔ان کی شاعری کی سب سے اہم بات شعری اظہار کی ایک نئ تعریف قائم کرنا ہے۔علوی کا شعری اظہار بظاہر اتنا سیدھا سادا اور براہ راست ہوتا ہے کہ شعر کی ایک بندھی ٹکی سمجھ رکھنے والے لوگ اس کے شعر ہونے ہر بھی شبہ کا اظہار کرسکتے ہیں۔علوی نے اپنے شعری متن کی تشکیل میں شعر سازی کے ان تمام روایتی وسیلوں کو کاٹ چھانٹ دیا ہے جو کسی لفظی جوڑ توڑ پر شعر نہ ہونے کے باوجود بھی شعر ہونے کا دھوکا دیتے تھے۔اردو شاعری کی روایت میں یہ محمد علوی کا اضافہ ہے ۔اس شاعری کی قراٗت کے دوران آپ محسوس کریں گے کہ اس کے موضوعات بھی زندگی کے نظر انداز کئے گئے حصے سے اخذ کردہ ہیں ،ان کے یہاں عام سی اور روٹین کی باتیں گہرے تخلیقی احساس کےساتھ ایک نا ختم ہونے والے استعجاب کو پیدا کرتی ہیں ،اسی سیاق میں گوپی چند نارنگ نے لکھا تھا کہ علوی کے یہاں بظاہر سادہ شعر کے معنی سادہ معنی نہیں ہیں بلکہ سادہ معنی سے گریز ہے۔آپ یہ شاعری پڑھئے اور اس پر بات کیجئے۔

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लेखक: परिचय

मोहम्मद अल्वी 10 अप्रैल 1927 को अहमदाबाद (गुजरात) में पैदा हुए। 1937 में जामिया मिल्लिया इस्लमिया, देहली के बच्चों के स्कूल में दाख़िला लिया मगर पढ़ाई में जी नहीं लगा, पांचवीं कक्षा से आगे न पढ़ सके और वापस अहमदाबाद चले गए। लेकिन घर का माहौल साहित्यिक था और शाइ’री ख़ुद उनके ख़ून में दौड़ रही थी,  इसलिए साहित्य पढ़ने का सिलसिला जारी रहा।उन्होंने बहुत से ऐतिहासिक उपन्यास पढ़े और कहानियाँ लिखने लगे। कुछ कहानियाँ कृष्ण चंदर को दिखाईं। 1947 से पहले के दिनों में अक्सर मुंबई पहुँच जाते थे जहाँ  सआ’दत हसन मंटो से भी मिलना हुआ। प्रगतिशील आन्दोलन के असर में आए मगर उनका मन आधुनिकता की तरफ़ ज़ियादा था। 1947 में पहली ग़ज़ल लिखी जिससे उनकी, अपने ढंग की अनोखी शाइ’री, का सिलसिला चल निकला और उर्दू शाइ’री में एक नए अध्याय का इज़ाफ़ा हुआ। उनकी मौत 29 जनवरी 2018 को अहमदाबाद में हुई। अल्वी साहब का पहला कविता-संग्रह ‘ख़ाली मकान’ 1963 में सामने आया और फिर 1967 में ‘आख़िरी दिन की तलाश’, 1978 में ‘तीसरी किताब’, 1992 में ‘चौथा आस्मान’ का प्रकाशन हुआ। 1995 में उनका कविता-समग्र ‘रात इधर-उधर रौशन’ प्रकाशित हुआ।मोहम्मद अल्वी को 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी साल गुजरात साहित्य अकादमी ने भी उन्हें सम्मान दिया।

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