aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
عبدالحمید عدم اردو کے معروف شاعر ہیں۔ عدم ایک قادر الکلام اور زود گو شاعر ہیں۔ انھوں نے مختلف اصناف میں طبع آزمائی کی ہے، لیکن بحیثیت غزل گو شاعر ان کی شناخت اہم ہے۔ عدم کی غزلیں سادہ اور رواں بحروں کے انتخاب سے مزئین سہل ممتنع کی اچھی مثال ہیں۔ زیر مطالعہ عدم کا شعری مجموعہ "رنگ و آہنگ" ہے۔ جس کی غزلوں میں بادہ نوشی اور مے کدے کا تذکرہ زیادہ ملتا ہے۔ ان کی غزلوں کی ایک خصوصیت مضمون آفرینی اور سادہ و سلیس، عام فہم زبان ہے۔
अदम की गिनती उर्दू के लोकप्रिय रूमानी शायरों में होती है. उनकी शायरी में इश्क़ व मुहब्बत, हुस्न व जमाल और हिज्र व विसाल का उल्लेख अपने चरम पर हैं. अपनी शायरी की इसी विशेषता के कारण अदम अपने वक़्त के मक़बूलतरीन शायरों में शुमार होते थे. अदम ने शायरी का आग़ाज़ उस ज़माने में किया था जब अख्तर शीरानी, जोश और हफ़ीज़ जालंधरी की शायरी शिखर पर थी और रूमानी शायरी ने उन शुअ’रा को बेहद लोकप्रिय बना रखा था. अदम ने भी शायरी के लिए उसी ढंग को अपनाया. उस विशेष रूमानी फ़िज़ा के बावजूद भी अदम के यहाँ जगह-जगह समकालीन संवेदना के छींटे नज़र आते हैं.
अदम की पैदाइश 10 अप्रैल 1910 को गुजरांवाला के एक गाँव तलवंडी मूसा में हुई. इस्लामिया हाईस्कूल भाटी गेट लाहौर से मैट्रिक किया फिर प्राइवेट रूप से एफ़.ए. किया और मल्टी एकाउंट्स में मुलाज़िम हो गये. 1930 में इराक़ चले गये और वहीँ शादी की. 1961 में हिन्दुस्तान आ गये और एस.ए.एस. का इम्तेहान पास किया फिर मिलिट्री एकाउंट्स में मुलाज़िमत पर बहाल हो गये. पाकिस्तान स्थापना के बाद रावलपिंडी आगये और मिलिट्री एकाउंट्स में असिस्टेंट कंट्रोलर नियुक्त हुए. 10 मार्च 1981 को देहांत हुआ.
अदम बहुत ज़्यादा कहनेवालोँ में से थे उनके काव्य संग्रहों की संख्या से इसका भलीभांति अंदाज़ा होता है. उनके संग्रह ‘खराबात,’ ‘चारा-ए-दर्द,’ ‘ज़ुल्फ़-ए-परेशां,’ ‘सरो सुमन,’ गर्दिश-ए-जाम,’ ‘शहरे खूबां,’ ‘गुलनार,’ ‘अक्से जाम,’ ‘रमे आहू,’ ‘बत मय,’ ‘निगारखाना,’ ‘साज़-ए-सफ़,’ ‘रँग व आहंग’ के नाम से प्रकाशित हुए.
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