aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह अहमद नदीम मोरसंडवी के उर्दू अफ़सानों का मजमूआ है। यह उनकी तीसरी किताब है, जो एक नावेल और एक शे'री मजमूआ के बाद शाया हुई है। यह कहानियाँ उनके रोज़मर्रा ज़िंदगी, इंसानी जज़्बात और समाजी हक़ायक़ के मुशाहिदात की अकासी करती हैं और एक सादा व पुर-असर अंदाज़ में लिखी गई हैं। मुसन्निफ़ ने एक तवील वक़्फ़े के बाद 2012 में दोबारा अदबी सफ़र का आगाज़ किया।
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here