दैर में हम आ खड़े हैं इक सनम के वास्ते
पाँव उठें किस तरह तौफ़-ए-हरम के वास्ते
ऐश-ओ-इशरत ऐ ख़ुदा औरों के दम के वास्ते
और हमें पैदा किया रंज-ओ-अलम के वास्ते
जितने हैं जौर-ओ-जफ़ा सब मेरे दम के वास्ते
ख़ूब-रू पैदा हुए जौर-ओ-सितम के वास्ते
सो रहे हैं ख़ुफ़्तगान-ए-ख़ाक किस आराम से
सच तो ये है चैन है अहल-ए-अदम के वास्ते
मरते दम दीदार उन का देख लूँ वो आए हैं
क़ाबिज़-ए-अर्वाह थम जा एक दम के वास्ते
बहर-ए-आलम में उठा कर सर ये कहता है हबाब
सारी दुनिया की बक़ा है एक दम के वास्ते
बालों में आई सफ़ेदी दाँत सब हिलने लगे
होती हैं तय्यारियाँ मुल्क-ए-अदम के वास्ते
बा'द मुर्दन शो'ला-ए-दाग़-ए-जिगर की रौशनी
शक्ल-ए-मशअ'ल है हमें राह-ए-अदम के वास्ते
रिज़्क़ क़िस्मत में लिखा है जिस क़दर वो पाएँगे
फ़िक्र करते किस लिए हम बेश-ओ-कम के वास्ते
बहर-ए-आलम में जो देखी ज़िंदगी शक्ल-ए-हबाब
घर बनाया ख़ाक में फिर एक दम के वास्ते
हम किसी सूरत नहीं उठने के कू-ए-यार से
ज़ाहिदा तू जान दे बाग़-ए-इरम के वास्ते
आँखें पथराई हुई हैं दम निकलता ही नहीं
जान-ए-जाँ सूरत दिखा दो एक दम के वास्ते
आस्तान-ए-बुत पे जिस को मिल गई जा-ए-क़याम
वो कभी जाता नहीं तौफ़-ए-हरम के वास्ते
काम है रहमत का तेरी पर्दा-पोशी ऐ ख़ुदा
हम सरापा जुर्म हैं तू है करम के वास्ते
देते गर कांधा शहीद-ए-नाज़ के लाशे को तुम
पाँव से मेहंदी न छुटती दो क़दम के वास्ते
म्यान से बाहर निकल ऐ ख़ंजर-ए-क़ातिल ज़रा
राहबर दरकार है राह-ए-अदम के वास्ते
ऐ 'वफ़ा' रंज-ओ-ग़म-ओ-अंदोह-ओ-फ़रियाद-ओ-फ़ुग़ाँ
सब किए पैदा ख़ुदा ने मेरे दम के वास्ते
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