ग़ज़लें
1988
नई नस्ल के मुमताज़ शायरों और नक़्क़ादों में शुमार, साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित
1912 -2005
प्रमुखतम प्रगतिशील शायरों में विख्यात/ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के समकालीन/अपनी गज़ल ‘मरने की दुआएँ क्यों माँगूँ.......’ के लिए प्रसिद्ध, जिसे कई गायकों ने स्वर दिए हैं