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आख़िरी मुलाक़ात

जाँ निसार अख़्तर

आख़िरी मुलाक़ात

जाँ निसार अख़्तर

MORE BYजाँ निसार अख़्तर

    मत रोको इन्हें पास आने दो

    ये मुझ से मिलने आए हैं

    मैं ख़ुद जिन्हें पहचान सकूँ

    कुछ इतने धुँदले साए हैं

    दो पाँव बने हरियाली पर

    एक तितली बैठी डाली पर

    कुछ जगमग जुगनू जंगल से

    कुछ झूमते हाथी बादल से

    ये एक कहानी नींद भरी

    इक तख़्त पे बैठी एक परी

    कुछ गिन गिन करते परवाने

    दो नन्हे नन्हे दस्ताने

    कुछ उड़ते रंगीं ग़ुबारे

    बब्बू के दुपट्टे के तारे

    ये चेहरा बन्नो बूढ़ी का

    ये टुकड़ा माँ की चूड़ी का

    ये मुझ से मिलने आए हैं

    मैं ख़ुद जिन्हें पहचान सकूँ

    कुछ इतने धुँदले साए हैं

    अलसाई हुई रुत सावन की

    कुछ सौंधी ख़ुश्बू आँगन की

    कुछ टूटी रस्सी झूले की

    इक चोट कसकती कूल्हे की

    सुलगी सी अँगीठी जाड़ों में

    इक चेहरा कितनी आड़ों में

    कुछ चाँदनी रातें गर्मी की

    इक लब पर बातें नरमी की

    कुछ रूप हसीं काशानों का

    कुछ रंग हरे मैदानों का

    कुछ हार महकती कलियों के

    कुछ नाम वतन की गलियों के

    मत रोको इन्हें पास आने दो

    ये मुझ से मिलने आए हैं

    मैं ख़ुद जिन्हें पहचान सकूँ

    कुछ इतने धुँदले साए हैं

    कुछ चाँद चमकते गालों के

    कुछ भँवरे काले बालों के

    कुछ नाज़ुक शिकनें आँचल की

    कुछ नर्म लकीरें काजल की

    इक खोई कड़ी अफ़्सानों की

    दो आँखें रौशन-दानों की

    इक सुर्ख़ दुलाई गोट लगी

    क्या जाने कब की चोट लगी

    इक छल्ला फीकी रंगत का

    इक लॉकेट दिल की सूरत का

    रूमाल कई रेशम से कढ़े

    वो ख़त जो कभी मैं ने पढ़े

    मत रोको इन्हें पास आने दो

    ये मुझ से मिलने आए हैं

    में ख़ुद जिन्हें पहचान सकूँ

    कुछ इतने धुँदले साए हैं

    कुछ उजड़ी माँगें शामों की

    आवाज़ शिकस्ता जामों की

    कुछ टुकड़े ख़ाली बोतल के

    कुछ घुँगरू टूटी पायल के

    कुछ बिखरे तिनके चिलमन के

    कुछ पुर्ज़े अपने दामन के

    ये तारे कुछ थर्राए हुए

    ये गीत कभी के गाए हुए

    कुछ शेर पुरानी ग़ज़लों के

    उनवान अधूरी नज़्मों के

    टूटी हुई इक अश्कों की लड़ी

    इक ख़ुश्क क़लम इक बंद घड़ी

    मत रोको इन्हें पास आने दो

    ये मुझ से मिलने आए हैं

    मैं ख़ुद जिन्हें पहचान सकूँ

    कुछ इतने धुँदले साए हैं

    कुछ रिश्ते टूटे टूटे से

    कुछ साथी छूटे छूटे से

    कुछ बिगड़ी बिगड़ी तस्वीरें

    कुछ धुँदली धुँदली तहरीरें

    कुछ आँसू छलके छलके से

    कुछ मोती ढलके ढलके से

    कुछ नक़्श ये हैराँ हैराँ से

    कुछ अक्स ये लर्ज़ां लर्ज़ां से

    कुछ उजड़ी उजड़ी दुनिया में

    कुछ भटकी भटकी आशाएँ

    कुछ बिखरे बिखरे सपने हैं

    ये ग़ैर नहीं सब अपने हैं

    मत रोको इन्हें पास आने दो

    ये मुझ से मिलने आए हैं

    मैं ख़ुद जिन्हें पहचान सकूँ

    कुछ इतने धुँदले साए हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : Nai Nazm ka safar (पृष्ठ 80)
    • रचनाकार : Khalilur Rahman Azmi
    • प्रकाशन : NCPUL, New Delhi (2011)
    • संस्करण : 2011

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