नज़्में
नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म (गद्द-कविता) भी उर्दू में स्थापित हो गई है।
नब्बे की दहाई के अहम शाइरों में नुमायाँ, रम्ज़ियत, ग़िनाइयत और इशारियत के हुस्न से मालामाल नज़्मों के लिए मशहूर
प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रकार और शयार जिन्होंने "शायर" जैसी साहित्यिक पत्रिका का संपादन किया
पाकिस्तान की नई नस्ल के नुमाइंदा आलोचकों और शायरों में शुमार, जदीद उर्दू नज़्म पर आलोचना की किताबें लिखीं