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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

आरसी के दोहे

आँखें चौंधियाई नहीं और झुलसे पाँव

बाँट गई दीवार जो वही दे गई छाँव

नन्हे बालक जैसा मन में रहता है संताप

जागे तो शैतान बहुत है सोए तो निष्पाप

नदिया सूखी द्वेष की प्रीत करे बदलाओ

आर मिल गया पार से ख़त्म हुआ अलगाव

कब तक ढोती याद की तस्वीरों का भार

इतनी कीलें ठोक दीं टूट गई दीवार

जैसा उस का क्रोध है वैसा उस का प्यार

अलग अलग होती नहीं दो-धारी तलवार

ध्यान रखे चिंता करे ये है उस की रीत

नारी के संवाद को समझ लेना प्रीत

कान अगर है तेरी मेरी समाअतों का साज़

वीराने में पेड़ गिरे तो होगी क्या आवाज़

सूरज जब सर पर चढ़े धूप पसारे पाँव

लौट आती है जिस्म में सहम के मेरी छाँव

यादें तिरी कट सकीं काट दिए नाख़ून

भींच भींच कर मुट्ठियाँ आने लगा था ख़ून

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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