अच्युतम यादव के शेर
कह रहा था मैं नहीं है दुख किसी भी बात का
और छलक के गिर गया इक आँसू पिछली रात का
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मुस्कुराने से ग़म हुए थे 'अयाँ
ऐसे रोना है अब कि शाद लगूँ
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टैग : ग़म
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