अहमद सहारनपुरी के शेर
इलाही राह-ए-मोहब्बत को तय करें क्यूँकर
ये रास्ता तो मुसाफ़िर के साथ चलता है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere