अली बख़श शरर के शेर
धूम नालों ने यहाँ तक तो मचाई है 'शरर'
बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता को दिल-ए-ज़ार ने सोने न दिया
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere