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अली जव्वाद ज़ैदी

1916 - 2004 | लखनऊ, भारत

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

अली जव्वाद ज़ैदी के ऑडियो

ग़ज़ल

आँख कुछ बे-सबब ही नम तो नहीं

नोमान शौक़

उफ़ वो इक हर्फ़-ए-तमन्ना जो हमारे दिल में था

नोमान शौक़

ऐश ही ऐश है न सब ग़म है

नोमान शौक़

ग़ैर पूछें भी तो हम क्या अपना अफ़्साना कहें

नोमान शौक़

तेरे हल्के से तबस्सुम का इशारा भी तो हो

नोमान शौक़

दीन ओ दिल पहली ही मंज़िल में यहाँ काम आए

नोमान शौक़

मंज़िल-ए-दिल मिली कहाँ ख़त्म-ए-सफ़र के बाद भी

नोमान शौक़

शिकवे हम अपनी ज़बाँ पर कभी लाए तो नहीं

नोमान शौक़

है ख़मोश आँसुओं में भी नशात-ए-कामरानी

नोमान शौक़

हम-सफ़र गुम रास्ते ना-पैद घबराता हूँ मैं

नोमान शौक़

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