अल्ताफ़ परवाज़
ग़ज़ल 4
अशआर 1
बस इतना याद है तुझ से मिला था रस्ते में
फिर अपने आप से रहना पड़ा जुदा बरसों
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere