अल्ताफुर्रहमान फ़िक्र यज़दानी के शेर
वो आए बज़्म में इतना तो 'फ़िक्र' ने देखा
फिर इस के बा'द चराग़ों में रौशनी न रही
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere