aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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असर रामपुरी

1892 - 1963

जलील मानकपुरी और आरज़ू लखनवी के प्रिय शागिर्द; ग़ज़ल, रुबाई और मसनवी जैसी विधाओं में रचनाएं कीं. नये सीखनेवालों के लिए एक फ़ारसी लुग़त भी सम्पादित की

जलील मानकपुरी और आरज़ू लखनवी के प्रिय शागिर्द; ग़ज़ल, रुबाई और मसनवी जैसी विधाओं में रचनाएं कीं. नये सीखनेवालों के लिए एक फ़ारसी लुग़त भी सम्पादित की

असर रामपुरी के शेर

इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम

तोड़ दे कासा-ए-मुराद इश्क़ गदागरी नहीं

तुम चाहो तो दो लफ़्ज़ों में तय होते हैं झगड़े

कुछ शिकवे हैं बेजा मिरे कुछ उज़्र तुम्हारे

बे-वज्ह नहीं हुस्न की तनवीर में ताबिश

लौ देते हैं ख़ाकिस्तर-ए-उल्फ़त के शरारे

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