आसिफ़ बिलाल
ग़ज़ल 34
नज़्म 5
अशआर 37
गाँव के नर्म रवय्यों में पले हैं हम लोग
शहर में कोई निगह-बान ज़रूरी है मियाँ
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जाने लगता हूँ तो वो पाँव पकड़ लेता है
और सितम ये है कि सीने से लगाता भी नहीं
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जाने लगता हूँ तो वो पाँव पकड़ लेता है
और सितम ये है कि सीने से लगाता भी नहीं
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