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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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नई नस्ल के नुमाइंदा शाइरों में शामिल, ग़ज़ल में बेसाख़्तगी का इज़हार

नई नस्ल के नुमाइंदा शाइरों में शामिल, ग़ज़ल में बेसाख़्तगी का इज़हार

आसिफ़ बिलाल

ग़ज़ल 34

नज़्म 5

 

अशआर 37

गाँव के नर्म रवय्यों में पले हैं हम लोग

शहर में कोई निगह-बान ज़रूरी है मियाँ

तुम्हें हम इस लिए भी सोचते रहते हैं अक्सर

कि इक तस्वीर में धुँदला सा है चेहरा तुम्हारा

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जाने लगता हूँ तो वो पाँव पकड़ लेता है

और सितम ये है कि सीने से लगाता भी नहीं

जाने लगता हूँ तो वो पाँव पकड़ लेता है

और सितम ये है कि सीने से लगाता भी नहीं

हम ने जिस हादसे पे सब्र किया

आप होते तो मर गए होते

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नअत 4

 

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