हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी
ग़ज़ल 11
अशआर 1
जिन से मंसूब मिरे दिल की हर इक धड़कन हो
वो न समझें मिरे जज़्बात तो दुख होता है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere