इनाम शरर अय्यूबी के शेर
ये सोच के दानिस्ता रहा उस से बहुत दूर
मग़रूर है दरिया मुझे प्यासा न समझ ले
घर घर है सहमा सहमा सा जाने क्यूँ
गलियों गलियों क्यूँ है इक डर का माहौल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere