कैफ़ी चिरय्याकोटी के शेर
अब तुम भी ज़रा हुस्न-ए-जहाँ-सोज़ को रोको
हम तो दिल-ए-बेताब को समझाए हुए हैं
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इधर तो तूल दिया है उमीद को उस ने
उधर हयात अता की है मुख़्तसर मुझ को
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वो जिस ने छीन ली है ज़िंदगानी
मताअ-ए-ज़िंदगानी भी वही है