कमल हातवी के शेर
हवा से कह दो कि यूँ ख़ुद को आज़मा के दिखाए
बहुत चराग़ बुझाती है इक जला के दिखाए
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बिछड़ जाने का ग़म तौबा अरे तौबा अरे तौबा
ये वो है जो कि दीमक की तरह सब चाट जाता है
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नज़र आँखों की गुम सी हो रही है
कि अब तुम बस सुनाई दे रहे हो
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