ख़ालिद बशीर अहमद के शेर
जाने क्यूँ हम से न ये ख़ाली मकाँ देखा गया
यूँ तो इस हम-साएगी से आज तक बेगाना थे
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere