महमूदा अख़्तर महमूदा के शेर
मीलाद-ए-शह का दिन है कि ये रोज़-ए-ईद है
इक बादा-ख़्वार का सा सबा में ख़ुमार है
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मौसम बहार का है चमन पर बहार है
बुलबुल फ़िदा-ए-गुल है गुलों पर निखार है
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बुलबुल चहक के कहती है मुद्दत के बा'द फिर
गुलशन में आज आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार है
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